Sunday, November 19, 2023

सप्तश्लोकी दुर्गा - Prayer of Durga in seven Shlokas- हिन्दी ब्लॉग

   
माँ दुर्गा दुर्गतिनाशिनी
 माँ दुर्गा की आराधना भक्तजन अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए करते हैं। इसके लिए श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ सर्वोत्तम है विशेषकर नवरात्रों में। किन्तु सात सौ श्लोकों जिनके आगे पीछे रात्रिसूक्त, देवीसूक्त, रहस्य आदि मिलाकर पढ़ना होता है, बहुत ही समय लेने वाला है जिन्हें नित्य पढ़ना व्यस्त रहने वाले गृहस्थजनों के लिए संभव नहीं है। अतः कलियुग में भक्तों के कल्याण के लिए भगवान शिव ने दुर्गा जी से ही पूछा कि कामनाओं की सिद्धि का उपाय बतायें। तब देवी ने "अम्बा स्तुति" नामक यह उपाय बताया जो सात श्लोकों में देवी की स्तुति है। यह कलियुग में सभी कामनों को पूर्ण करने वाला है अतः भक्तजन नित्य पूजा में इस सप्तश्लोकि दुर्गा का पाठ को शामिल करें। यहाँ मैं गीता प्रेस से प्रकाशित "श्रीदुर्गासप्तशती" पुस्तक के प्रारम्भ में दिए गए सप्तश्लोकी दुर्गा और उसके अर्थ को दे रहा हूँ :- 

अथ सप्तश्लोकी दुर्गा
शिव उवाच -
देवी त्वं भक्तसुलभे     सर्वकार्यविधायिनी। 
कलौ हि कार्यसिद्ध्यर्थमुपायं ब्रुहि यत्नतः।। 
देव्युवाच - 
शृणु  देव  प्रवक्ष्यामि    कलौ  सर्वेष्टसाधनम्।
मया  तवैव  स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते।। 

ॐ अस्य श्रीदुर्गासप्तश्लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ऋषिः,
अनुष्टुप् छन्दः, श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवताः,
श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्लोकीदुर्गापाठे विनियोगः। 

ॐ ज्ञानिनामपि चेतान्सि देवी भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।1।। 

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता ।।2।।

सर्वमङ्गल      मङ्गल्ये       शिवे     सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणि नमोSस्तु ते ।।3 ।।

शरणागतदीनार्त      परित्राण        परायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोSस्तु ते।।4।।

सर्वस्वरूपे      सर्वेशे      सर्वशक्तिसमन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोSस्तु ते।।5।।

रोगानशेषानपहंसि  तुष्टा   रुष्टा   तु   कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।6।।

सर्वाबाधाप्रशमनं       त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम्।।7।।

|| इति श्रीसप्तश्लोकी दुर्गा संपूर्णा ||

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भावार्थ
शिवजी बोले - हे देवी ! तुम भक्तों के लिए सुलभ हो और समस्त कर्मों का विधान करने वाली हो। कलियुग में कामनाओं की सिद्धि-हेतु यदि कोई उपाय हो तो उसे अपनी वाणी द्वारा सम्यक्-रूप से व्यक्त करो। 

देवी ने कहा - हे देव ! आपका मेरे ऊपर बहुत स्नेह है। कलियुग में समस्त कामनाओं को सिद्ध करने वाला जो साधन है वह बतलाऊँगी, सुनो !उसका नाम है 'अम्बास्तुति'। 
         
          ॐ इस दुर्गासप्तश्लोकी स्तोत्रमंत्र के नारायण ऋषि हैं, अनुष्टुप् छन्द है, श्रीमहाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती देवता हैं, श्री दुर्गा की प्रसन्नता के लिए सप्तश्लोकी दुर्गापाठ में इसका विनियोग किया जाता है।   

       वे भगवती महामाया देवी ज्ञानियों के भी चित्त को बलपूर्वक खींच कर मोह में डाल देती हैं।।1।।

     माँ दुर्गे ! आप स्मरण करने पर सब प्राणियों का भय हर लेती हैं और स्वस्थ पुरुषों द्वारा चिंतन करने पर उन्हें परम कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती हैं। दुःख, दरिद्रता और भय हरने वाली देवी ! आपके सिवा दूसरी कौन है, जिसका चित्त सबका उपकार करने के लिए दयार्द्र रहता हो।।2।।  
 
      नारायणी ! तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी हो। कल्याणदायिनी शिवा हो। सब पुरुषार्थों को सिद्ध करने वाली, शरणागतवत्सला, तीन नेत्रों वाली एवं गौरी हो। तुम्हें नमस्कार है।।3।। 

       शरण में आये हुए दीनों एवं पीड़ितों  रक्षा में संलग्न रहने वाली तथा सब की पीड़ा दूर करने वाली नारायणि देवि ! तुम्हें नमस्कार है।।4।।

       सर्वस्वरूपा, सर्वेश्वरी तथा सब प्रकार की शक्तियों से संपन्न दिव्यरूपा दुर्गे देवि ! सब भयों से हमारी रक्षा करो ; तुम्हें नमस्कार है।।5।।

         देवि !  प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हो और कुपित होने पर मनोवांछित सभी कामनाओं का नाश कर देती हो। जो लोग तुम्हारी शरण में जा चुके हैं, उनपर विपत्ति तो आती ही नहीं। तुम्हारी शरण में गए हुए मनुष्य दूसरों को शरण देने वाले हो जाते हैं।।6।। 

          सर्वेश्वरी ! तुम इसी प्रकार तीनों लोकों की समस्त बाधाओं को शान्त करो और हमारे शत्रुओं का नाश करती रहो।।7।।

।।श्रीसप्तश्लोकी दुर्गा सम्पूर्ण।।
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