Monday, February 28, 2033

kinkars.blogspot.com - अनुसूची -INDEX

Tamaso Ma Jyotirgamaya















                                                                 →यूट्यूब पर सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें











44. मिथिला के लोकप्रिय कवि विद्यापति रचित - गोसाओनिक गीत (Gosaonik Geet) अर्थ सहित

43. पौराणिक कथाओं में शल्य - चिकित्सा - Surgery in Indian mythology

42. सुन्दरकाण्ड के पाठ या श्रवण से हनुमानजी प्रसन्न हो कर सब बाधा और कष्ट दूर करते हैं

41. माँ काली की स्तुति - Maa Kali's "Stuti"

40. महाशिवरात्रि - Mahashivaratri                                


39. तुलसीदास - अनोखे रस - लालित्य के कवि

38. छठ महापर्व - The great festival of Chhath

37. भगवती प्रार्थना - बिहारी गीत (पाँच वरदानों के लिए)

36. सावन में पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक




25. भगवती स्तुति। .... देवी दुर्गा उमा, विश्वजननी रमा......

Shop online at -- AMAZON

Shop online at -- FLIPKART

24. कृष्ण -जन्माष्टमी -- परमात्मा के पूर्ण अवतार का समय। 

23. क्या सतयुग में पहाड़ों के पंख हुआ करते थे?

22. सावन में शिवपूजा। ..... Shiva Worship in Savan  

21. सद्गुरु की खोज ---- Search of a Satguru! True Guru!

20. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अद्भुत कथा  ....
(The great doctors of Gods-Ashwinikumars !). भाग - 4 (चिकित्सा के द्वारा चिकित्सा के द्वारा अंधों को दृष्टि प्रदान करना)
19. God does not like Ego i.e. अहंकार ! अभिमान ! घमंड !

18. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -3 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

17. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -2 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

Shop online at -- AMAZON

Shop online at -- FLIPKART

16. बाबा बासुकीनाथ का नचारी भजन -Baba Basukinath's "Nachari-Bhajan" !

15. शिवषडक्षर स्तोत्र (Shiva Shadakshar Stotra-The Prayer of Shiva related to Six letters)

14. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -१ (अश्विनीकुमार और नकुल- सहदेव का जन्म)

13. पवित्र शमी एवं मन्दार को वरदान की कथा (Shami patra and Mandar phool)

12. Daily Shiva Prayer - दैनिक शिव आराधना

11. Shiva_Manas_Puja (शिव मानस पूजा)

10. Morning Dhyana of Shiva (शिव प्रातः स्मरण) !

09. जप कैसे करें ?

Shop online at -- AMAZON

Shop online at -- FLIPKART

08. पूजा में अष्टक का महत्त्व ....Importance of eight-shloka- Prayer (Ashtak) !

07. संक्षिप्त लक्ष्मी पूजन विधि...! How to Worship Lakshmi by yourself ..!!

06. Common misbeliefs about Hindu Gods ... !!

05. Why should we worship Goddess "Durga" ... माँ दुर्गा की आराधना क्यों जरुरी है ?

04. Importance of 'Bilva Patra' in "Shiv-Pujan" & "Bilvastak"... शिव पूजन में बिल्व पत्र का महत्व !!

03. Bhagwat path in short ..!! संक्षिप्त भागवत पाठ !!         {Listen it in only three minutes on YouTube}

02. What Lord Shiva likes .. ? भगवान शिव को क्या क्या प्रिय है ?

01. The Sun and the Earth are Gods we can see .....

Shop online at -- AMAZON

Shop online at -- FLIPKART


       ===<<<O>>>===

Thursday, April 11, 2024

श्रीरामलला का जन्म - रामनवमी →।।श्रीरामावतार।।

 
अयोध्या स्थित श्रीरामलला की प्रतिमा
      राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पूर्व जन्म में श्रीहरि विष्णु प्रसन्न हुए थे और वर मांगने को कहा था। कौशल्या ने कहा कि प्रभु मुझे आप जैसा पुत्र चाहिए। प्रभु हँसे और बोले कि मेरे जैसा तो दूसरा कोई और नहीं, तुम्हारे अगले जन्म में मैं ही तुम्हारा पुत्र बन कर आऊंगा। 
         पुत्रेष्टि यज्ञ के बाद दशरथ जी की तीनों रानियों ने दिव्य खीर खाये और गर्भवती हुईं। कौशल्या जी के प्रसव के समय प्रभु को अपना वचन पूरा करना था। एक क्षण के लिए जब प्रसव पीड़ा से कौशल्या जी अचेत हुईं तो ऑंखें खुलने पर रामलला के रूप में श्रीविष्णु को पाया। बालक को श्रीहरि की तरह ही आयुधों सहित चार हाथ थे। सुन्दर और बड़े बड़े आँख, श्याम शरीर, वनमाला के आभूषण से असीम शोभा हो रही थी। कौशल्या जी ने दोनों हाथ जोड़ कर प्रभु की स्तुति की। हे ब्रह्माण्ड और माया को बनाने वाले प्रभु, भक्तों से प्रेम और मेरे हित के लिए आप प्रकट हुए हैं, कैसे आपका आभार व्यक्त करूँ? माता कौशल्या के सुन्दर वचन सुन प्रभु मुस्काये। माता ने पुनः कहा प्रभु आपके इस रूप को देखकर लोग डरेंगे और उपहास करेंगे क्योंकि बालक आयुधों सहित चार हाथ के साथ जन्म नहीं लेते। कृपाकर के आप यह रूप छोड़िये और अतिप्रिय शिशु-लीला कीजिये ताकि मुझे माँ का सुख मिले। कौशल्या जी की प्रार्थना और बुद्धिमत्ता पूर्ण वचन सुन कर प्रभु बालरूप में आये और जन्म लेने वाले बच्चे की तरह रोना शुरू किया। बाबा तुलसीदास ने प्रभु के इस प्राकट्य को सरल भाषा में पद्य रूप में लिखा है जिसे हम सनातनी बड़े भक्ति एवं प्रेम से गाते सुनते हैं। वे कहते हैं कि जो इस चरित को गाता है वह हरि के चरणों में स्थान पाता है और कभी संसार रूपी कूप में फिर नहीं गिरता। श्री राम ने विप्र, गौ, देवताओं और संतों के हित के लिए अपनी इच्छा से दिव्य शरीर धारण किया, वे माया और इसके गुणों तथा इन्द्रियों से परे हैं।        
       श्रीराम लला का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को मध्याह्न दिन में पुनर्वसु नक्षत्र में अयोध्या नगरी में हुआ था। उस समय पांच ग्रह - सूर्य, गुरु, मंगल, शुक्र और शनि अपने उच्च स्थान में थे। भगवन श्रीराम के प्रकट होने की ख़ुशी में हमलोग प्रति वर्ष उक्त तिथि को रामनवमी के रूप मानते हैं। 

।।श्रीरामावतार।।

भए  प्रगट  कृपाला  दीनदयाला,   कौसल्या  हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी, अद्भुत रूप बिचारी ॥

लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा, निज आयुध भुजचारी ।
भूषन   बनमाला,  नयन  बिसाला, सोभासिंधु   खरारी ॥

कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी, केहि बिधि करूं अनंता ।
माया   गुन    ग्यानातीत   अमाना,    वेद   पुरान   भनंता ॥

करुना सुख सागर, सब गुन आगर, जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो  मम  हित  लागी, जन अनुरागी, भयउ  प्रगट  श्रीकंता ॥

ब्रह्मांड   निकाया, निर्मित  माया, रोम  रोम  प्रति  बेद  कहै ।
मम उर सो बासी, यह उपहासी, सुनत धीर मति थिर न रहै ॥

उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना, चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।
कहि  कथा  सुहाई, मातु  बुझाई, जेहि  प्रकार  सुत  प्रेम  लहै ॥

माता  पुनि  बोली, सो मति डोली,  तजहु  तात यह रूपा ।
कीजै  सिसुलीला, अति प्रियसीला, यह सुख परम अनूपा ॥

सुनि  बचन  सुजाना,  रोदन  ठाना,  होइ  बालक सुरभूपा ।
यह चरित  जे गावहिं, हरिपद पावहिं, ते न परहिं भवकूपा ॥

दोहा
बिप्र धेनु सुर संत हित, लीन्ह मनुज अवतार ।
निज  इच्छा  निर्मित  तनु, माया गुन  गो पार ॥
=====

     बाबा तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस में ये रामावतार प्रसङ्ग है जो बहुत ही सुगम, सुबोध एवं कर्णप्रिय है। तुलसीदास जी की अद्वितीय प्रतिभा और भाषा पर पकड़ के कारण उनकी अवधी और संस्कृत की रचनाएँ पढ़ने में मधुर लगाती हैं और लोकप्रिय भी हुयी हैं। तुलसीदास जी के बारे में इस लिंक पर भी पढ़ सकते हैं - "तुलसीदास - अनोखे रस लालित्य के कवि".  

===<<<•>>>===


 











                                                                 →यूट्यूब पर सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें











44. मिथिला के लोकप्रिय कवि विद्यापति रचित - गोसाओनिक गीत (Gosaonik Geet) अर्थ सहित

43. पौराणिक कथाओं में शल्य - चिकित्सा - Surgery in Indian mythology

42. सुन्दरकाण्ड के पाठ या श्रवण से हनुमानजी प्रसन्न हो कर सब बाधा और कष्ट दूर करते हैं

41. माँ काली की स्तुति - Maa Kali's "Stuti"

40. महाशिवरात्रि - Mahashivaratri                                


39. तुलसीदास - अनोखे रस - लालित्य के कवि

38. छठ महापर्व - The great festival of Chhath

37. भगवती प्रार्थना - बिहारी गीत (पाँच वरदानों के लिए)

36. सावन में पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक




25. भगवती स्तुति। .... देवी दुर्गा उमा, विश्वजननी रमा......

Shop online at -- AMAZON

Shop online at -- FLIPKART

24. कृष्ण -जन्माष्टमी -- परमात्मा के पूर्ण अवतार का समय। 

23. क्या सतयुग में पहाड़ों के पंख हुआ करते थे?

22. सावन में शिवपूजा। ..... Shiva Worship in Savan  

21. सद्गुरु की खोज ---- Search of a Satguru! True Guru!

20. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अद्भुत कथा  ....
(The great doctors of Gods-Ashwinikumars !). भाग - 4 (चिकित्सा के द्वारा चिकित्सा के द्वारा अंधों को दृष्टि प्रदान करना)
19. God does not like Ego i.e. अहंकार ! अभिमान ! घमंड !

18. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -3 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

17. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -2 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

Shop online at -- AMAZON

Shop online at -- FLIPKART

16. बाबा बासुकीनाथ का नचारी भजन -Baba Basukinath's "Nachari-Bhajan" !

15. शिवषडक्षर स्तोत्र (Shiva Shadakshar Stotra-The Prayer of Shiva related to Six letters)

14. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -१ (अश्विनीकुमार और नकुल- सहदेव का जन्म)

13. पवित्र शमी एवं मन्दार को वरदान की कथा (Shami patra and Mandar phool)

12. Daily Shiva Prayer - दैनिक शिव आराधना

11. Shiva_Manas_Puja (शिव मानस पूजा)

10. Morning Dhyana of Shiva (शिव प्रातः स्मरण) !

09. जप कैसे करें ?

Shop online at -- AMAZON

Shop online at -- FLIPKART

08. पूजा में अष्टक का महत्त्व ....Importance of eight-shloka- Prayer (Ashtak) !

07. संक्षिप्त लक्ष्मी पूजन विधि...! How to Worship Lakshmi by yourself ..!!

06. Common misbeliefs about Hindu Gods ... !!

05. Why should we worship Goddess "Durga" ... माँ दुर्गा की आराधना क्यों जरुरी है ?

04. Importance of 'Bilva Patra' in "Shiv-Pujan" & "Bilvastak"... शिव पूजन में बिल्व पत्र का महत्व !!

03. Bhagwat path in short ..!! संक्षिप्त भागवत पाठ !!         {Listen it in only three minutes on YouTube}

02. What Lord Shiva likes .. ? भगवान शिव को क्या क्या प्रिय है ?

01. The Sun and the Earth are Gods we can see .....

Shop online at -- AMAZON

Shop online at -- FLIPKART


===<<<O>>>===

Sunday, December 10, 2023

श्रीगणपति की बारह नाममाला - शुभकारी एवं विघ्नहारी -(हिंदी ब्लॉग)

गणेशजी (फोटो :सौजन्य इंटरनेट)
    प्रथमपूज्य श्रीगणेश बुद्धि, रिद्धि,सिद्धि, शुभता और लाभ के दाता तो हैं ही, वे विघ्नहर्ता भी हैं। किसी भी पूजा या शुभ मांगलिक कार्य में सर्वप्रथम इनका ही आह्वान और इनकी ही पूजा की जाती है। जिस प्रकार किसी मन्त्र में पहला अक्षर प्रणव अक्षर ॐ होता है उसी प्रकार पूजा में श्रीगणेश का प्रथम स्थान है। इनकी पूजा से ही कोई पूजा प्रारम्भ होती है। इसीलिए कहावत भी बनी "श्रीगणेश करना" अर्थात प्रारम्भ करना। 
         श्रीगणेश जी की पूजा में कई मंत्र और श्लोक बोले जाते हैं। उनमें सबसे प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय है 👇

"वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः। 
निर्विघ्नं कुरु में देव  सर्वकार्येषु सर्वदा।।"

इसके अतिरिक्त ये मन्त्र भी लोकप्रिय हैं :-

 "विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय। 
नागाननाय श्रुतियज्ञ विभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमः ते।"

और 

एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।

और 

"एकदंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दंती प्रचोदयात।।"

           किन्तु आज मैं आपको श्रीगणेश जी के बारह नाम वाली स्तुति बताता हूँ जो किसी पूजा, कहीं जाने के समय या किसी शुभ कार्य से पहले पढ़ सकते हैं। यदि संस्कृत में पढ़ने में समस्या हो तो हिंदी में ही ये बारह नाम बोलकर श्रीगणपति को प्रणाम करें। आपके कार्य अथवा पूजा में सफलता अवश्य मिलेगी। नीचे के श्लोक संख्या 1 से 5 तक यही बारह नाम वाली श्रीगणेश स्तुति  है। पूरी स्तुति मङ्गलम् कहलाती है जो पूजा या मांगलिक कार्यों के पहले पाठ की जाती है। 

मङ्गलम्

स  जयति सिन्धुरवदनो देवो यत्पादपङ्कज स्मरणम् ।
वासरमणिरिव तमसां   राशीन्नाशयति  विघ्नानाम् ।1।
 सुमुखश्चैकदन्तश्च           कपिलो          गजकर्णकः।
लम्बोदरश्च     विकटो      विघ्ननाशो    विनायकः ।2।
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो          भालचन्द्रो          गजाननः।
द्वादशैतानि     नामानि     यः  पठेच्छ्ऋणुयादपि।3।
विद्यारम्भे     विवाहे     च     प्रवेशे     निर्गमे    तथा।
संग्रामे    सङ्कटे    चैव   विघ्नस्तस्य    न     जायते।4।
शुक्लाम्बरधरं     देवं           शशिवर्णं     चतुर्भुजम्।
प्रसन्नवदनं                    ध्यायेत्सर्वविघ्नोपशान्तये।5।

व्यासं वसिष्ठनप्तारं  शक्तेः पौत्रमकल्मषम्।
पराशरात्मजं वन्दे  शुकतातं तपोनिधिम्।6।
व्यासाय विष्णुरूपाय व्यासरूपाय विष्णवे।
नमो वै ब्रह्मनिधये   वासिष्ठाय  नमो नमः।7।
अचतुर्वदनो    ब्रह्मा    द्विबाहुरपरो    हरिः।
अभाललोचनः  शम्भुर्भगवान् बादरायणः।8।
---x---

     अर्थात - उन गजवदन देवदेव की जय हो जिनके कमलरुपी चरणों का स्मरण विघ्नसमूह को इस प्रकार नष्ट कर देता है जैसे सूर्य अंधेरों का नाश कर देते हैं। जो पुरुष विद्यारम्भ, विवाह, गृहप्रवेश, निकलने के समय, संग्राम और संकट के समय - सुमुख, एकदन्त, कपिल, गजकर्णक, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाशन, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र, गजानन - श्री गणेश के इन बारह नामों का पाठ करते हैं या श्रवण करते हैं उनके काम में विघ्न  नहीं होता। चन्द्रमा के समान वर्ण वाले चार भुजाधारी प्रसन्न-वदन देव जो श्वेत वस्त्र धारण करते हैं, उन गणेशजी का ध्यान मात्र करने से सारे विघ्न शांत हो जाते हैं। (श्लोक संख्या 1 से 5 तक)  
       जो वसिष्ठ जी के नाती (प्रपौत्र), शक्ति के पौत्र, पराशरजी के पुत्र तथा शुकदेवजी के पिता हैं उन निष्पाप, तपोनिधि श्रीव्यासजी की मैं वन्दना करता हूँ।6। 
       विष्णुरूप व्यास अथवा व्यासरूप विष्णु को नमन है। वसिष्ठजी के वंशज और ब्रह्मज्ञान के निधि व्यासजी को बारम्बार नमस्कार है। (वेद व्यास जी नारायण के 24 अवतारों में से एक हैं)।7।  
        भगवान वेद व्यासजी (बादरायण) बिना चार सिर वाले ब्रह्मा हैं, वे दो भुजाओंवाले हरि हैं तथा ललाटलोचन (तीसरे नेत्र) के बिना शम्भू हैं - उनको नमस्कार है।8।  

(स्रोत :गीता प्रेस की पुस्तक स्तोत्ररत्नावली)















                                                                 →यूट्यूब पर सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें











44. मिथिला के लोकप्रिय कवि विद्यापति रचित - गोसाओनिक गीत (Gosaonik Geet) अर्थ सहित

43. पौराणिक कथाओं में शल्य - चिकित्सा - Surgery in Indian mythology

42. सुन्दरकाण्ड के पाठ या श्रवण से हनुमानजी प्रसन्न हो कर सब बाधा और कष्ट दूर करते हैं

41. माँ काली की स्तुति - Maa Kali's "Stuti"

40. महाशिवरात्रि - Mahashivaratri                                


39. तुलसीदास - अनोखे रस - लालित्य के कवि

38. छठ महापर्व - The great festival of Chhath

37. भगवती प्रार्थना - बिहारी गीत (पाँच वरदानों के लिए)

36. सावन में पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक




25. भगवती स्तुति। .... देवी दुर्गा उमा, विश्वजननी रमा......

Shop online at -- AMAZON

Shop online at -- FLIPKART

24. कृष्ण -जन्माष्टमी -- परमात्मा के पूर्ण अवतार का समय। 

23. क्या सतयुग में पहाड़ों के पंख हुआ करते थे?

22. सावन में शिवपूजा। ..... Shiva Worship in Savan  

21. सद्गुरु की खोज ---- Search of a Satguru! True Guru!

20. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अद्भुत कथा  ....
(The great doctors of Gods-Ashwinikumars !). भाग - 4 (चिकित्सा के द्वारा चिकित्सा के द्वारा अंधों को दृष्टि प्रदान करना)
19. God does not like Ego i.e. अहंकार ! अभिमान ! घमंड !

18. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -3 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

17. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -2 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

Shop online at -- AMAZON

Shop online at -- FLIPKART

16. बाबा बासुकीनाथ का नचारी भजन -Baba Basukinath's "Nachari-Bhajan" !

15. शिवषडक्षर स्तोत्र (Shiva Shadakshar Stotra-The Prayer of Shiva related to Six letters)

14. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -१ (अश्विनीकुमार और नकुल- सहदेव का जन्म)

13. पवित्र शमी एवं मन्दार को वरदान की कथा (Shami patra and Mandar phool)

12. Daily Shiva Prayer - दैनिक शिव आराधना

11. Shiva_Manas_Puja (शिव मानस पूजा)

10. Morning Dhyana of Shiva (शिव प्रातः स्मरण) !

09. जप कैसे करें ?

Shop online at -- AMAZON

Shop online at -- FLIPKART

08. पूजा में अष्टक का महत्त्व ....Importance of eight-shloka- Prayer (Ashtak) !

07. संक्षिप्त लक्ष्मी पूजन विधि...! How to Worship Lakshmi by yourself ..!!

06. Common misbeliefs about Hindu Gods ... !!

05. Why should we worship Goddess "Durga" ... माँ दुर्गा की आराधना क्यों जरुरी है ?

04. Importance of 'Bilva Patra' in "Shiv-Pujan" & "Bilvastak"... शिव पूजन में बिल्व पत्र का महत्व !!

03. Bhagwat path in short ..!! संक्षिप्त भागवत पाठ !!         {Listen it in only three minutes on YouTube}

02. What Lord Shiva likes .. ? भगवान शिव को क्या क्या प्रिय है ?

01. The Sun and the Earth are Gods we can see .....

Shop online at -- AMAZON

Shop online at -- FLIPKART


       ===<<<O>>>===











    

Thursday, November 30, 2023

क्या प्रातः काल श्रीहनुमान जी का नाम नहीं लेना चाहिए ? - (हिंदी ब्लॉग)

फोटो (साभार गूगल)
           यह कभी सोचा भी न था कि कोई रामभक्त-श्रीहनुमान का प्रातः नाम लेने से मना भी करेगा। किन्तु आज कल सोशल मीडिया पर तरह तरह के ज्ञानी कुछ भी ज्ञान बाँटने आ जाते हैं। उन्हें बस शब्दार्थ दिख जाये बस। वाक्य का और बात का मर्म नहीं समझना न ही प्रसंग पर ध्यान देना। एक दिन रील (छोटे वीडियो) मोबाइल पर देख रहा था। एक रील में साधू वेशधारी बाबा ने ज्ञान देना शुरू किया कि प्रातः उठकर हनुमानजी का नाम नहीं लेना चाहिए अन्यथा दिन भर भोजन नहीं मिलेगा, ऐसा स्वयं हनुमानजी ने रामचरितमानस के सुंदरकांड में कहा है। वे निम्नलिखित चौपाईओं  का उद्धरण कर रहे थे ,

सुनहु बिभीषन  प्रभु कै रीती। करहिं  सदा  सेवक पर प्रीती।।
कहहु कवन मैं परम कुलीना। कपि चंचल सबहीं बिधि हीना।।
प्रात  लेइ  जो   नाम  हमारा। तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा।।
अस  मैं अधम सखा  सुनु  मोहू पर रघुबीर।
कीन्ही कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर।।
 
   ये पंक्तियाँ हनुमानजी ने विभीषण जी को आश्वस्त करते हुए तब कहीं जब विभीषणजी ने कहा कि हे पवनसुत ! मैं तो लंका में उसी तरह रहता हूँ जैसे अनेक दाँतों के बीच में बेचारी जीभ रहती है। हे तात, क्या कभी मुझे अनाथ जान कर श्रीराम मुझपर कृपा करेंगे ? तामसी शरीर है, कोई साधन नहीं है और न ही उनके पद कमल में आप जैसी प्रीती है। पर अब मुझे भरोसा हो चला है क्योंकि यदि उनकी कृपा न होती तो आप जैसे संत मुझे न मिलते। तब हनुमान जी ने उनको समझाते हुए उपरोक्त पंक्तियाँ कहीं कि हे विभीषण सुनिए, प्रभु का स्वभाव ही है कि वे अपने सेवक पर स्नेह रखते हैं चाहे वह कोई भी हो। अब मैं कौन सा परम कुलीन हूँ ? चंचल और सब तरह से हीन बन्दर हूँ। जो भी प्रातः हमारा नाम लेता है उसे उस दिन आहार भी नहीं मिलता।  
       अब हमें यहाँ इतना भी सरल नहीं होना चाहिये कि शब्दार्थ को ही सत्य मान लें। हमें प्रसंग और हनुमानजी का स्वाभाव भी याद रखना चाहिए। हनुमानजी बल, बुद्धि, विवेक और विद्या से परिपूर्ण हैं फिर भी उनमें लेश मात्र का भी अहंकार नहीं है। याद कीजिये, अशोक वाटिका में माता सीता को भरोसा दिलाने के लिए उन्होंने विशालकाय रूप दिखाया था,

कनक भूधराकार सरीरा। समर भयंकर अतिबल बीरा।।

पर फिर भी उन्होंने अहंकार नहीं विनम्रता दिखाई थी और कहा था - माता सुनो, मैं तो साखामृग (बन्दर) हूँ, बल-बुद्धि ज्यादा नहीं है पर प्रभु की कृपा से सब संभव है।  
        हनुमान जी की विनम्रता का एक और उदहारण है जब वे माता सीता का पता लगा कर श्रीरामजी के पास लौटते हैं। प्रभु प्रसन्न हो कर उन्हें गले से लगाते हैं और पास बिठाते हैं फिर पूछते हैं - हे हनुमान, भला रावण की लंका के विशाल दुर्ग को आपने कैसे जला डाला ? 
         यहाँ कोई दूसरा होता तो अपने बल-बुद्धि की खूब डींग हाँकता आखिर काम ही ऐसा किया था। उनके काम की प्रशंशा जामवन्त जी ने इस प्रकार रामजी से की, 

नाथ पवनसुत किन्हीं जो करनी । सहसऊँ मुख न जाई सो बरनी ।।

    अर्थात् हे नाथ, पवनसुत ने जो कार्य किया है उसका वर्णन हज़ारों मुख से भी नहीं किया जा सकता । पर श्रीहनुमानजी की विनम्रता और अहंकार रहित वाणी को देखिये। कहते हैं - प्रभु मैं तो शाखामृग हूँ, बहुत बल दिखाऊंगा तो एक डाल से दूसरे डाल पर कूदूंगा भला मेरी क्या औकात ? अगर मैंने समुद्र लांघ कर लंका जलाई, राक्षसों को मारकर वाटिका उजाड़ी तो इसमें मेरी कोई बड़ाई नहीं है। प्रभु, यह सब आपका प्रताप है। 
           तो विनम्रतापूर्वक श्रीहनुमानजी जब स्वयं कोई नाम या क्रेडिट नहीं लेते या स्वयं को छोटा या अधम बताते हैं तो वास्तव में वैसा नहीं है, यह उनकी बड़ाई है। तो जब वे विभीषण को कहते हैं कि जो प्रातः हमारा नाम लेता है उसे दिनभर भोजन नहीं मिलता तो ऐसा सत्य में नहीं है। समाज में जो एक कहावत है कि प्रातः काल बन्दर का नाम लेने से दिनभर भोजन नहीं मिलता, उसी का सहारा लेकर महावीर हनुमान अपनी वाणी को विनम्रता से परिपूर्ण कर देते हैं। उसी समय वे स्वयं को कुलीन भी नहीं कहते, सब विधि से नीच चंचल बन्दर भी कहते हैं और तो और स्वयं को अधम भी कहते हैं। ऐसा है क्या ? भला श्रीहनुमान कोई साधारण बन्दर हैं? वे पवन देवता के पुत्र हैं, बचपन में ही आकाश में उड़कर सूर्य को निगलने वाले हैं, समुद्र लांघकर रावण जैसे महाबली के सामने ही उसकी लंका को जला डालने वाले हैं और उनके महानायक जैसे कारनामों से तो रामायण और रामचरितमानस भरे पड़े हैं। भारत का जन-जन श्रीहनुमानजी को पूजता है, क्यों? क्योंकि भगवान राम श्रीहनुमानजी के हृदय में बसते हैं। भले ही अवतारी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी इस धरती पर लीला पूर्ण कर सरयू माता की गोद में चले गए हों पर अमरता का वरदान पाये श्रीहनुमान जी में वे सदा बसते हैं। भगवान शिव का रुद्रावतार हैं वे ।
       श्रीहनुमान स्वयं राममय हैं। भला वे प्रातः स्मरणीय न होंगे तो और कौन होगा ?  
------

 











                                                                 →यूट्यूब पर सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें











44. मिथिला के लोकप्रिय कवि विद्यापति रचित - गोसाओनिक गीत (Gosaonik Geet) अर्थ सहित

43. पौराणिक कथाओं में शल्य - चिकित्सा - Surgery in Indian mythology

42. सुन्दरकाण्ड के पाठ या श्रवण से हनुमानजी प्रसन्न हो कर सब बाधा और कष्ट दूर करते हैं

41. माँ काली की स्तुति - Maa Kali's "Stuti"

40. महाशिवरात्रि - Mahashivaratri                                


39. तुलसीदास - अनोखे रस - लालित्य के कवि

38. छठ महापर्व - The great festival of Chhath

37. भगवती प्रार्थना - बिहारी गीत (पाँच वरदानों के लिए)

36. सावन में पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक




25. भगवती स्तुति। .... देवी दुर्गा उमा, विश्वजननी रमा......

Shop online at -- AMAZON

Shop online at -- FLIPKART

24. कृष्ण -जन्माष्टमी -- परमात्मा के पूर्ण अवतार का समय। 

23. क्या सतयुग में पहाड़ों के पंख हुआ करते थे?

22. सावन में शिवपूजा। ..... Shiva Worship in Savan  

21. सद्गुरु की खोज ---- Search of a Satguru! True Guru!

20. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अद्भुत कथा  ....
(The great doctors of Gods-Ashwinikumars !). भाग - 4 (चिकित्सा के द्वारा चिकित्सा के द्वारा अंधों को दृष्टि प्रदान करना)
19. God does not like Ego i.e. अहंकार ! अभिमान ! घमंड !

18. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -3 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

17. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -2 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

Shop online at -- AMAZON

Shop online at -- FLIPKART

16. बाबा बासुकीनाथ का नचारी भजन -Baba Basukinath's "Nachari-Bhajan" !

15. शिवषडक्षर स्तोत्र (Shiva Shadakshar Stotra-The Prayer of Shiva related to Six letters)

14. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -१ (अश्विनीकुमार और नकुल- सहदेव का जन्म)

13. पवित्र शमी एवं मन्दार को वरदान की कथा (Shami patra and Mandar phool)

12. Daily Shiva Prayer - दैनिक शिव आराधना

11. Shiva_Manas_Puja (शिव मानस पूजा)

10. Morning Dhyana of Shiva (शिव प्रातः स्मरण) !

09. जप कैसे करें ?

Shop online at -- AMAZON

Shop online at -- FLIPKART

08. पूजा में अष्टक का महत्त्व ....Importance of eight-shloka- Prayer (Ashtak) !

07. संक्षिप्त लक्ष्मी पूजन विधि...! How to Worship Lakshmi by yourself ..!!

06. Common misbeliefs about Hindu Gods ... !!

05. Why should we worship Goddess "Durga" ... माँ दुर्गा की आराधना क्यों जरुरी है ?

04. Importance of 'Bilva Patra' in "Shiv-Pujan" & "Bilvastak"... शिव पूजन में बिल्व पत्र का महत्व !!

03. Bhagwat path in short ..!! संक्षिप्त भागवत पाठ !!         {Listen it in only three minutes on YouTube}

02. What Lord Shiva likes .. ? भगवान शिव को क्या क्या प्रिय है ?

01. The Sun and the Earth are Gods we can see .....

Shop online at -- AMAZON

Shop online at -- FLIPKART


===<<<O>>>===