Friday, May 3, 2019

श्री दुर्गा के बत्तीस नाम - भीषण विपत्ति और संकटों से बचानेवाला

श्रीदुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला - Thirty Two names of Sridurga
     माँ दुर्गा दुर्गतिनाशिनी हैं, अर्थात जो विपत्ति में पड़कर दुर्गति को प्राप्त हो गया हो उस दुर्गति का नाश करनेवाली । यदि भक्त भीषण संकट में हो तो माँ दुर्गा के बत्तीस नामों की माला जपने से वह संकट से छुटकारा पा लेता है क्योंकि इस स्तुति से वे शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं।
जय अम्बे माँ !
      एकबार ब्रह्मा आदि देवताओं के द्वारा स्तुति करने पर माँ दुर्गा प्रसन्न हुईं और देवताओं से वरदान माँगने को कहा। देवताओं ने कहा माँ आपके आशीर्वाद से हमें कोई कष्ट नहीं हैं पर आपकी वरदान देने की इच्छा है अतः हम जगत के कल्याण के लिए आपसे वह उपाय जानना चाहते हैं जिससे आप शीघ्र प्रसन्न होवें और भक्तों के भारी से भारी कष्टों को दूर कर दें। यदि यह परम गोपनीय भी हो तो भी जगत के कल्याण के लिए आप हमें बतायेँ। प्रसन्न माँ ने कहा, "देवगण सुनो ! यह परम गोपनीय और दुर्लभ रहस्य है। मेरे बत्तीस नामों की माला सब प्रकार की विपत्तियों का नाश करनेवाली है। तीनों लोकों में इसके सामान अन्य स्तुति नहीं है। यह रहस्यरूप है। यह बत्तीस नामों की माला इस प्रकार है। 

दुर्गा,  दुर्गार्तिशमनी, दुर्गापद्विनिवारिणी, दुर्गमच्छेदिनी,
दुर्गसाधिनी, दुर्गनाशिनी,  दुर्गतोद्धारिणी,  दुर्गनिहन्त्री,
दुर्गमापहा,      दुर्गमज्ञानदा,      दुर्गदैत्यलोकदवानला,
दुर्गमा,  दुर्गमालोका, दुर्गमात्मस्वरूपिणी,दुर्गमार्गप्रदा,
दुर्गमविद्या,          दुर्गमाश्रिता,      दुर्गमज्ञानसंस्थाना,
दुर्गमध्यानभासिनी,दुर्गमोहा,दुर्गमगा,दुर्गमार्थस्वरूपिणी,
दुर्गमासुरसंहन्त्री, दुर्गमायुधधारिणी, दुर्गमाङ्गी, दुर्गमता,
दुर्गम्या,दुर्गमेश्वरी,दुर्गभीमा,दुर्गभामा,दुर्गभा,दुर्गदारिणी। 

इस बत्तीस नाममाला के जपने से भय का नाश होता है और यदि कोई दुर्भेद्य बन्धन में पड़ा हो तो इस संकट से छुटकारा पा लेता है। यदि कोई युद्ध में शत्रुओं से घिर जाये, राजा क्रोध में भरकर कठोर दण्ड या वध की आज्ञा दे दे तो इस नाममाला के 108 बार पाठ मात्र से वह भयमुक्त हो जाता है। इसका पाठ करनेवाले मनुष्यों की कभी हानि नहीं होती और यह सबसे बड़ा भयनाशक है। जो स्वयं अथवा ब्राह्मण से इस नाममाला का हज़ार, दस हज़ार या एक लाख बार पाठ कराता है वह भारी से भारी विपत्तियों से मुक्त हो जाता है। सिद्ध अग्नि में मधुमिश्रित (शहद मिला हुआ) सफ़ेद तिलों से इन नामों द्वारा एक लाखबार हवन करने से मनुष्य हर प्रकार के संकट से निःसन्देह छूट जाता है। इसका पुरश्चरण 30,000 का है। पुरश्चरणपूर्वक पाठ करने से मनुष्य के सम्पूर्ण कार्य सिद्ध होते हैं। मिट्टी से मेरी सुन्दर अष्टभुजा मूर्ति बनाये, आठों भुजाओं में क्रमशः गदा, खड्ग, त्रिशूल, बाण, धनुष, कमल, खेट (ढाल) और मुद्गर धारण करावे; मूर्ति के मस्तक में चन्द्रमा का चिह्न हो, तीन नेत्र हो, लाल वस्त्र पहनाया गया हो, वह सिंह के कंधे पर सवार हो शूल से महिषासुर का वध कर रही हो, इस प्रकार की प्रतिमा बना कर नाना प्रकार की सामग्रियों से भक्तिपूर्वक मेरा पूजन करे। मेरे उक्त नामों से लाल कनेर के फूल चढ़ाते हुए सौ बार पूजा करे और मन्त्र जप करते हुए पुए से हवन करे। नाना प्रकार के उत्तम भोग लगावे। इस प्रकार करने से मनुष्य असाध्य कार्य भी सिद्ध कर लेता है। अभक्त, नास्तिक और शठ मनुष्य को इसका उपदेश नहीं देना चाहिए। जो मानव प्रतिदिन मेरा भजन करता है वह कभी विपत्ति में नहीं पड़ता है।"
      
       देवताओं से ऐसा कहकर जगदम्बा अंतर्ध्यान हो गयीं। जो श्रीदुर्गाजी के इस उपाख्यान को सुनते हैं उनपर कोई विपत्ति नहीं आती। 
          यह बत्तीस नाममाला एवं माहात्म्य गीताप्रेस, गोरखपुर से प्रकाशित श्रीदुर्गासप्तशती के अंत में दिया गया है एवं वहीं से उद्धृत है।इसे याद कर प्रतिदिन सुबह एवं शाम में अवश्य पढ़ना चाहिए ताकि हर प्रकार की विपत्ति एवं संकट हमेशा दूर रहे। 

         जिन भक्तों को देवनागरी लिपि पढ़ने में असुविधा हो उनके लिए रोमन लिपि में नीचे बत्तीस नाम दे रहा हूँ। 

     Here are the "Thirty-two names of Sridurga" 
1. Durga 
2. Durgartishamanee
3. Durgapadwiniwarinee
4. Durgamchchhedinee
5. Durgsadhinee
6. Durgnashinee
7. Durgtoddharinee
8. Durgnihantree
9. Durgmapahaa
10.Durgamgyandaa
11.Durgdaityadawaanalaa
12.Durgma
13.Durgmaloka
14.Durgmatmswaroopinee
15.Durgmargprada
16.Durgamvidya
17.Durgmashrita
18.Durgamgyansansthana
19.Durgmadhyanbhasinee
20.Durgmoha
21.Durgmagaa
22.Durgmarthswaroopinee
23.Durgmasursanhantree
24.Durgmayudhdharinee
25.Durgmangee
26.Durgmataa
27.Durgamyaa
28.Durgmeshwaree
29.Durgbheemaa
30.Durgbhaamaa
31.Durgbhaa
32.Durgdarinee
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