माँ (Maa Bhagawati) |
माँ भगवती अपने भक्तों का हर प्रकार से कल्याण करती हैं। इहलोक एवं परलोक दोनों का उद्धार करती हैं। वे भक्तों पर भौतिक, सांसारिक और आध्यात्मिक हर प्रकार के सुख की वर्षा करती हैं। उनके प्रति भक्त अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने और कृपा बनाये रखने हेतु इस प्रकार स्तुति करते हैं:--
देवी दुर्गा उमा, विश्व जननी रमा, मात तारा,
एक जगदम्बा तेरा सहारा ! (२)
तू ही वैष्णवी मोह माया, तूने सारे जग को बनाया।
चरण कमलों में माँ, रहता मस्तक नवा, यह हमारा।।
एक जगदम्बा तेरा सहारा !
शैलजा स्कन्द माता भवानी, पार्वती भद्रकाली मृडाणी।
सर्व बुद्धि प्रदे, अष्ट सिद्धि वर दे, त्रिपुरारा।।
एक जगदम्बा तेरा सहारा !
पुण्यवानों के घर सम्पदा तू, पापियों के भवन आपदा तू।
कुल की लज्जा तू ही, साधु श्रद्धा तू ही, गुण अपारा।।
एक जगदम्बा तेरा सहारा !
जिनके मुंडन की गले मालिका हैं, सृञ्जति सञ्जति तालिका हैं।
रूप विकराली के, चण्डिके कालिके रुद्रतारा।।
एक जगदम्बा तेरा सहारा !
मन वचन दोनों ने हार खाई, तेरा माया नहीं पार पाई।
क्या करें निर्वचन, वेद नेति कथन, करके हारा।।
एक जगदम्बा तेरा सहारा !
हैं हज़ारों ही अपराध मेरा, हूँ अधम पातकी तो भी तेरा।
दुष्ट होवे यदा, तो भी माँ को सदा, पुत्र प्यारा।।
एक जगदम्बा तेरा सहारा !
तेरी ज्योति से उदज्योति दिवाकर, तव प्रभा से सुशोभित सुधाकर।
देवी सेवक पर हो, दया की नजर का इशारा।।
एक जगदम्बा तेरा सहारा !
देवी दुर्गा उमा, विश्व जननी रमा, मात तारा,
एक जगदम्बा तेरा सहारा !
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भक्तजनों से अनुरोध - नवरात्रि के अवसर पर यदि आप भगवती की आराधना में प्रतिदिन पाँच गीतों (स्तुति) को गाते हैं तो इस स्तुति के अतिरिक्त ''माँ सिंह पर एक कमल राजित" को भी अवश्य शामिल करें। पीढ़ियों से गाये जाने वाले ये गीत माँ को प्रसन्न करते हैं और मनोरथों को सिद्ध करते हैं।
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