Thursday, January 20, 2022

श्रीसूक्तम् - ShreeSooktam, Srisuktam

   श्रीसूक्त दो प्रकार के हैं | पहला वेदोक्त अर्थात वेदों के अनुसार और दूसरा तंत्रोक्त अर्थात तंत्रविद्या के अनुसार | यहाँ दोनों श्रीसूक्त दिए जा रहे हैं | 
(चित्र-गूगल से साभार)

श्रीसूक्तम् (वेदोक्त)

 हिरण्यवर्णां     हरिणीं     सुवर्णरजतस्त्रजाम् । 

चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह।।१।।


तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मी मनपगामिनीम् । 
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ।।२।। 

अश्वपूर्वां   रथमध्यां   हस्तिनादप्रमोदिनीम् । 
श्रियं  देवीमुप  ह्वये  श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।३।। 

कां   सोस्मितां   हिरण्यप्राकारामार्दां   ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् । 
पद्मे     स्थितां     पद्मवर्णां     तमिहोप     ह्वये     श्रियम्   ।।४।। 

चन्द्रां  प्रभासां  यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदराम्   । 
तां पद्मिनीम् शरणं प्र पद्मे अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।।५।। 


आदित्यवर्णे   तपसो  अधि   जातो  वनस्पतिस्त्व वृक्षो अथ बिल्वः । 
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मी ।।६।। 


उपैतु    मां     देवसखः       कीर्तिश्च     मणिना     सह  । 
प्रादुर्भूतोअस्मि राष्ट्रेअस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।।७।। 


क्षुत्पिपासामलाम्   ज्येष्ठामलक्ष्मीं    नाशयाम्यहम्  । 
अभूतिम   समृद्धिं   च  सर्वां  निर्णुद  मे  गृहात्  ।।८।। 


गन्धद्वारां   दुराधर्षां   नित्य  पुष्टां करीषिणीम् । 
ईश्वरीं  सर्वभूतानां  तमिहोप  ह्वये  श्रियम् ।।९।। 


मनसः   काममाकूतिं   वाचः   सत्यमशीमहि  । 
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।१०।। 


कर्दमेन     प्रजाभूता     मयि     संभव     कर्दम  । 
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम्  ।।११।। 


आपः  सृजन्तु  स्निग्धानि   चिक्लीत   वस   मे गृहे । 
नि  च  देवी  मातरं   श्रियं   वासय   मे   कुले  ।।१२।। 


आर्द्रां  पुष्करिणीं  पुष्टिं   पिंगलां  पद्ममालिनीम्  । 
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो मा आ वह  ।।१३।। 


आर्द्रां    यः  करिणीं   यष्टिं   सुवर्णां हेममालिनीम्  । 
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो मा आ वह   ।।१४।। 


तां      म     आ      वह      जातवेदो      लक्ष्मी     मनपगामिनीम्  । 
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्यो अश्वान् विन्देयं पुरुषानहम्।।१५।। 


यः   शुचिः  प्रयतोभूत्वा      जुहुयादाज्यमन्वहम्। 
सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत्   ।।१६।।

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श्रीसूक्तम् (तंत्रोक्त)

ॐ   पद्मानने   पद्मविपद्मपत्रे     पद्मप्रिये   पद्मदलायताक्षि |
विश्वप्रिये विष्णुमनोSनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सं नि धत्स्व |१|

पद्मानने    पद्मउरू        पद्माक्षि    पद्मसम्भवे |
तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम् |२|

अश्वदायि   गोदायि      धनदायि   महाधने |
धनं मे जुषतां देवि सर्वकामान्श्च् देहि मे |३|

पुत्रपौत्रधनं    धान्यं     हस्त्यश्वाश्वतरी    रथम् |
प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे |४ |

धनमग्निर्धनं   वायुर्धनं   सूर्यो   धनं  वसुः |
धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरुणो धनमश्विना |५|

वैनतेय  सोमं  पिब       सोमं  पिबतु  वृत्रहा |
सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः |६|

न  क्रोधो  न  च  मात्सर्यं  न लोभो  नाशुभा  मतिः |
भवन्ति कृतपुण्यानां भक्त्या श्रीसूक्तजापिनाम् |७|

सरसिजनिलये   सरोजहस्ते    धवलतरान्शुकगन्धमाल्यशोभे |
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्र सीद मह्यम् |८|

विष्णुपत्नी  क्षमां  देवीं    माधवीं  माधवप्रियाम् |
लक्ष्मीं प्रियसखीं भूमिं नमाम्यच्युतवल्लभाम् |९|

महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि |
तन्नो          लक्ष्मीः        प्र    चोदयात् ||१०||

आनन्दः कर्दमः श्रीदश्चिक्लीत इति विश्रुताः |
ऋषयः श्रियः पुत्राश्च श्रीर्देविर्देवता मताः |११|

ऋणरोगादिदारिद्र्य           पापक्षुदपमृत्यवः |
भयशोकमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा |१२|

श्रीर्वर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाविधाच्छोभमानं     महीयते |
धनं धान्यं पशुं बहुपुत्रलाभं शतसंवत्सरं दीर्घमायुः |१३|
 
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(शीघ्र फल प्राप्ति हेतु दोनों ही पढ़ना लाभकारी है)

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44. मिथिला के लोकप्रिय कवि विद्यापति रचित - गोसाओनिक गीत (Gosaonik Geet) अर्थ सहित

43. पौराणिक कथाओं में शल्य - चिकित्सा - Surgery in Indian mythology

42. सुन्दरकाण्ड के पाठ या श्रवण से हनुमानजी प्रसन्न हो कर सब बाधा और कष्ट दूर करते हैं

41. माँ काली की स्तुति - Maa Kali's "Stuti"

40. महाशिवरात्रि - Mahashivaratri


39. तुलसीदास - अनोखे रस - लालित्य के कवि

38. छठ महापर्व - The great festival of Chhath

37. भगवती प्रार्थना - बिहारी गीत (पाँच वरदानों के लिए)

36. सावन में पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक

35. श्रीविद्या - सर्वोपरि मन्त्र साधना

34. श्री दुर्गा के बत्तीस नाम - भीषण विपत्ति और संकटों से बचानेवाला

33. मैथिलि भगवती गीत - "माँ सिंह पर एक कमल राजित"

32. माँ दुर्गा की देवीसूक्त से स्तुति करें -Praise Goddess Durga with Devi-Suktam!


31. शनि की पूजा -क्या करें क्या न करें। The worship of God Shani, What to do & what not!

30. संस्कृत सूक्तों के प्रारम्भ में शीर्षक का क्या अर्थ है ?


25. भगवती स्तुति। .... देवी दुर्गा उमा, विश्वजननी रमा......

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24. कृष्ण -जन्माष्टमी -- परमात्मा के पूर्ण अवतार का समय। 

23. क्या सतयुग में पहाड़ों के पंख हुआ करते थे?

22. सावन में शिवपूजा। ..... Shiva Worship in Savan  

21. सद्गुरु की खोज ---- Search of a Satguru! True Guru!

20. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अद्भुत कथा  ....
(The great doctors of Gods-Ashwinikumars !). भाग - 4 (चिकित्सा के द्वारा चिकित्सा के द्वारा अंधों को दृष्टि प्रदान करना)
19. God does not like Ego i.e. अहंकार ! अभिमान ! घमंड !

18. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -3 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

17. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -2 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

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16. बाबा बासुकीनाथ का नचारी भजन -Baba Basukinath's "Nachari-Bhajan" !

15. शिवषडक्षर स्तोत्र (Shiva Shadakshar Stotra-The Prayer of Shiva related to Six letters)

14. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -१ (अश्विनीकुमार और नकुल- सहदेव का जन्म)

13. पवित्र शमी एवं मन्दार को वरदान की कथा (Shami patra and Mandar phool)

12. Daily Shiva Prayer - दैनिक शिव आराधना

11. Shiva_Manas_Puja (शिव मानस पूजा)

10. Morning Dhyana of Shiva (शिव प्रातः स्मरण) !

09. जप कैसे करें ?

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08. पूजा में अष्टक का महत्त्व ....Importance of eight-shloka- Prayer (Ashtak) !

07. संक्षिप्त लक्ष्मी पूजन विधि...! How to Worship Lakshmi by yourself ..!!

06. Common misbeliefs about Hindu Gods ... !!

05. Why should we worship Goddess "Durga" ... माँ दुर्गा की आराधना क्यों जरुरी है ?

04. Importance of 'Bilva Patra' in "Shiv-Pujan" & "Bilvastak"... शिव पूजन में बिल्व पत्र का महत्व !!

03. Bhagwat path in short ..!! संक्षिप्त भागवत पाठ !!

02. What Lord Shiva likes .. ? भगवान शिव को क्या क्या प्रिय है ?

01. The Sun and the Earth are Gods we can see .....

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ऋण-मोचक मंगल स्तोत्र

पिछले पोस्ट "धन-सम्पदा और लक्ष्मी की प्राप्ति कैसे करें ?" और "दारिद्र्यदहन शिव स्तोत्र" से आगे :--
(चित्र - Google से साभार)


ऋण-मोचक मंगल स्तोत्र

मंगलो   भूमिपुत्रश्च  ऋणहर्ता   धनप्रदः।
स्थिरासनो  महाकायः सर्वकर्मावरोधकः।१|

लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः। 
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः।२|

अङ्गारको   यमश्चैव    सर्वरोगापहारकः।
वृष्टिकर्ता च  भर्ता च  सर्वकामफलप्रदः।३|

एतानि कुजनामानि नित्यं यः श्रध्या पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रंवाप्नुयात् |४|

धरणीगर्भसंभूतं  विद्युत्कान्ति   सम्प्रभम् |
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम् |५|

स्तोत्रमंगारकस्यैतत्पठनीयं    सदा  नृभिः |
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पापि भवति क्वचित् |६|

अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल |
त्वां    नमामिन्माशेषमृन्माशुविनाशय |७|

ऋण रोगादिदारिद्रयं वाचान्ये चापमृत्यवः |
 भयक्लेश मनस्तापानश्यन्तु मम सर्वदा |८|

अतिवक्र   दुराराध्य    भोगमुक्तजितात्मनः |
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् |९|

विरन्चिशक्रविष्णुनां मनुष्याणां तु  का कथा |
तेन  त्वं  सर्वसत्वेन  महाराजो  महाबलः |१०|

पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः |
ऋण  दारिद्र्य दुःखेन हरणं च  भयात्ततः |११|

एभिर्द्वादशभि श्लोकैर्यस्तौति च धरासुतम् |
महतीं   श्रियमाप्नोति   ह्यपरे   धन्दोयुवा |१२|

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(स्कंदपुराण से)

भावार्थ : हे महाकाय, पृथ्वीपुत्र, लालवर्ण और लाल आँखोंवाले, स्थिर आसनवाले धरापुत्र मंगल ! आप ऋण को हरनेवाले और धन देनेवाले हैं| आप रोग, दुःख और मृत्यु को हरनेवाले हैं | आप वर्षा करनेवाले, पोषणकरनेवाले और सभी इच्छाओं को पूर्ण करनेवाले हैं | जो नित्य श्रद्धा के साथ आपका स्मरण करते हैं, उन्हें ऋण नहीं होता और शीघ्र धन की प्राप्ति होती है | धरती के गर्भ से उत्पन्न होनेवाले और बिजली के समान आभावाले हे मंगल, आपको प्रणाम है | जो मंगल स्तोत्र का नित्य पाठ करते हैं उन्हें मंगल की थोड़ी सी भी पीड़ा नहीं होती और ऋण-रोग, दारिद्र्य, अपमृत्यु, भय-क्लेश और मनःताप इत्यादि सदा के लिए नष्ट हो जाते हैं | 
      जो मंगल बहुत ही टेढ़े स्वभाववाले हैं, कठिनता से प्रसन्न होते हैं, किसी प्रकार की भोग की इच्छा से रहित हैं और स्वयं पर विजय प्राप्त किया हुआ है वे यदि तुष्ट हों तो साम्राज्य तक दे देते हैं और यदि रुष्ट हो जाएँ तो साम्राज्य एक क्षण में ले भी लेते हैं | मनुष्य की क्या बात, ब्रह्मा, इंद्र और विष्णु भी आप के प्रताप का लोहा मानते हैं | हे पृथ्वीपुत्र ! हम आपकी शरण में आये हैं | मुझे पुत्र और धन दें, साथ ही मेरे ऋण, दारिद्र्य, दुःख और भय का हरण करें |  
    जो भी इन बारह श्लोकों से धरासुत मंगल की स्तुति करते हैं, उन्हें असीम धन और चिरयौवन प्राप्त होता है | 
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44. मिथिला के लोकप्रिय कवि विद्यापति रचित - गोसाओनिक गीत (Gosaonik Geet) अर्थ सहित

43. पौराणिक कथाओं में शल्य - चिकित्सा - Surgery in Indian mythology

42. सुन्दरकाण्ड के पाठ या श्रवण से हनुमानजी प्रसन्न हो कर सब बाधा और कष्ट दूर करते हैं

41. माँ काली की स्तुति - Maa Kali's "Stuti"

40. महाशिवरात्रि - Mahashivaratri


39. तुलसीदास - अनोखे रस - लालित्य के कवि

38. छठ महापर्व - The great festival of Chhath

37. भगवती प्रार्थना - बिहारी गीत (पाँच वरदानों के लिए)

36. सावन में पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक

35. श्रीविद्या - सर्वोपरि मन्त्र साधना

34. श्री दुर्गा के बत्तीस नाम - भीषण विपत्ति और संकटों से बचानेवाला

33. मैथिलि भगवती गीत - "माँ सिंह पर एक कमल राजित"

32. माँ दुर्गा की देवीसूक्त से स्तुति करें -Praise Goddess Durga with Devi-Suktam!


31. शनि की पूजा -क्या करें क्या न करें। The worship of God Shani, What to do & what not!

30. संस्कृत सूक्तों के प्रारम्भ में शीर्षक का क्या अर्थ है ?


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22. सावन में शिवपूजा। ..... Shiva Worship in Savan  

21. सद्गुरु की खोज ---- Search of a Satguru! True Guru!

20. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अद्भुत कथा  ....
(The great doctors of Gods-Ashwinikumars !). भाग - 4 (चिकित्सा के द्वारा चिकित्सा के द्वारा अंधों को दृष्टि प्रदान करना)
19. God does not like Ego i.e. अहंकार ! अभिमान ! घमंड !

18. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -3 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

17. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -2 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

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13. पवित्र शमी एवं मन्दार को वरदान की कथा (Shami patra and Mandar phool)

12. Daily Shiva Prayer - दैनिक शिव आराधना

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दारिद्र्यदहन शिव स्तोत्र - Daridrya Dahan Shiv Stotra

पिछले पोस्ट "धन -सम्पदा और लक्ष्मी की प्राप्ति कैसे करें ?" से आगे :--

 दारिद्र्यदहन शिव स्तोत्र


(चित्र - Google से साभार)

विश्वेश्वराय  नरकार्णव  तारणाय
कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय
कर्पूरकांति  धवलाय  जटाधराय
      दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…

गौरी  प्रियाय   रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिप कंकणाय
गंगाधराय    गजराज   विमर्दनाय
   दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…

भक्तिप्रियाय भवरोग भयापहाय
उग्राय   दुर्गभवसागर  तारणाय
ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय
     दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…

चर्माम्बराय   शवभस्म  विलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुंडल मण्डिताय
मंजीर   पादयुगलाय   जटाधराय
    दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…

पंचाननाय फनिराज विभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय
आनंदभूमिवरदाय    तमोमयाय
      दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…

भानुप्रियाय   भवसागर   तारणाय
कालान्तकाय कमलासन पूजिताय
नेत्रत्रयाय   शुभलक्षण    लक्षिताय
    दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…

रामप्रियाय     रघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय   नरकार्णवतारणाय
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरर्चिताय
        दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय   वृषभेश्वर वाहनाय
मातंग   चर्मवसनाय  महेश्वराय
        दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…
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दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र का अर्थ

      जो विश्व के स्वामी हैं, जो नरकरूपी संसारसागर से उद्धार करने वाले हैं, जो कानों से श्रवण करने में अमृत के समान नाम वाले हैं, जो अपने भाल पर चन्द्रमा को आभूषणरूप में धारण करने वाले हैं, जो कर्पूर की कांति के समान धवल वर्ण वाले जटाधारी हैं, दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|

     जो माता गौरी के अत्यंत प्रिय हैं, जो रजनीश्वर(चन्द्रमा) की कला को धारण करने वाले हैं, जो काल के भी अन्तक (यम) रूप हैं, जो नागराज को कंकणरूप में धारण करने वाले हैं, जो अपने मस्तक पर गंगा को धारण करने वाले हैं, जो गजराज का विमर्दन करने वाले हैं, दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|

       जो भक्तिप्रिय, संसाररूपी रोग एवं भय का नाश करने वाले हैं, जो संहार के समय उग्ररूपधारी हैं, जो दुर्गम भवसागर से पार कराने वाले हैं, जो ज्योतिस्वरूप, अपने गुण और नाम के अनुसार सुन्दर नृत्य करने वाले हैं, दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|

      जो बाघ के चर्म को धारण करने वाले हैं, जो चिताभस्म को लगाने वाले हैं, जो भाल में तीसरा नेत्र धारण करने वाले हैं, जो मणियों के कुण्डल से सुशोभित हैं, जो अपने चरणों में नूपुर धारण करने वाले जटाधारी हैं, दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|

        जो पांच मुख वाले नागराज रूपी आभूषण से सुसज्जित हैं, जो सुवर्ण के समान किरणवाले हैं, जो आनंदभूमि (काशी) को वर प्रदान करने वाले हैं, जो सृष्टि के संहार के लिए तमोगुनाविष्ट होने वाले हैं, दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|

         जो सूर्य को अत्यंत प्रिय हैं, जो भवसागर से उद्धार करने वाले हैं, जो काल के लिए भी महाकालस्वरूप, और जिनकी कमलासन (ब्रम्हा) पूजा करते हैं, जो तीन नेत्रों को धारण करने वाले हैं, जो शुभ लक्षणों से युक्त हैं, दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|

       जो राम को अत्यंत प्रिय, रघुनाथजी को वर देने वाले हैं, जो सर्पों के अतिप्रिय हैं, जो भवसागररूपी नरक से तारने वाले हैं, जो पुण्यवालों में अत्यंत पुण्य वाले हैं, जिनकी समस्त देवतापूजा करते हैं, दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|

      जो मुक्तजनों के स्वामीस्वरूप हैं,जो चारों पुरुषार्थों का फल देने वाले हैं, जिन्हें गीत प्रिय हैं और नंदी जिनका वाहन है, गजचर्म को वस्त्ररूप में धारण करने वाले हैं, महेश्वर हैं, दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|

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44. मिथिला के लोकप्रिय कवि विद्यापति रचित - गोसाओनिक गीत (Gosaonik Geet) अर्थ सहित

43. पौराणिक कथाओं में शल्य - चिकित्सा - Surgery in Indian mythology

42. सुन्दरकाण्ड के पाठ या श्रवण से हनुमानजी प्रसन्न हो कर सब बाधा और कष्ट दूर करते हैं

41. माँ काली की स्तुति - Maa Kali's "Stuti"

40. महाशिवरात्रि - Mahashivaratri


39. तुलसीदास - अनोखे रस - लालित्य के कवि

38. छठ महापर्व - The great festival of Chhath

37. भगवती प्रार्थना - बिहारी गीत (पाँच वरदानों के लिए)

36. सावन में पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक

35. श्रीविद्या - सर्वोपरि मन्त्र साधना

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(The great doctors of Gods-Ashwinikumars !). भाग - 4 (चिकित्सा के द्वारा चिकित्सा के द्वारा अंधों को दृष्टि प्रदान करना)
19. God does not like Ego i.e. अहंकार ! अभिमान ! घमंड !

18. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -3 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

17. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -2 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

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16. बाबा बासुकीनाथ का नचारी भजन -Baba Basukinath's "Nachari-Bhajan" !

15. शिवषडक्षर स्तोत्र (Shiva Shadakshar Stotra-The Prayer of Shiva related to Six letters)

14. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -१ (अश्विनीकुमार और नकुल- सहदेव का जन्म)

13. पवित्र शमी एवं मन्दार को वरदान की कथा (Shami patra and Mandar phool)

12. Daily Shiva Prayer - दैनिक शिव आराधना

11. Shiva_Manas_Puja (शिव मानस पूजा)

10. Morning Dhyana of Shiva (शिव प्रातः स्मरण) !

09. जप कैसे करें ?

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08. पूजा में अष्टक का महत्त्व ....Importance of eight-shloka- Prayer (Ashtak) !

07. संक्षिप्त लक्ष्मी पूजन विधि...! How to Worship Lakshmi by yourself ..!!

06. Common misbeliefs about Hindu Gods ... !!

05. Why should we worship Goddess "Durga" ... माँ दुर्गा की आराधना क्यों जरुरी है ?

04. Importance of 'Bilva Patra' in "Shiv-Pujan" & "Bilvastak"... शिव पूजन में बिल्व पत्र का महत्व !!

03. Bhagwat path in short ..!! संक्षिप्त भागवत पाठ !!

02. What Lord Shiva likes .. ? भगवान शिव को क्या क्या प्रिय है ?

01. The Sun and the Earth are Gods we can see .....

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