पिछले पोस्ट "धन-सम्पदा और लक्ष्मी की प्राप्ति कैसे करें ?", "दारिद्र्यदहन शिव स्तोत्र" और "ऋणमोचक मंगल स्तोत्र" से आगे :--
श्रीसूक्त दो प्रकार के हैं | पहला वेदोक्त अर्थात वेदों के अनुसार और दूसरा तंत्रोक्त अर्थात तंत्रविद्या के अनुसार | यहाँ दोनों श्रीसूक्त दिए जा रहे हैं |
(चित्र-गूगल से साभार) |
श्रीसूक्तम् (वेदोक्त)
ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजाम् ।
ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह।।१।।
तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मी मनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ।।२।।
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम् । श्रियं देवीमुप ह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।३।।
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्दां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् । पद्मे स्थितां पद्मवर्णां तमिहोप ह्वये श्रियम् ।।४।।
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदराम् । तां पद्मिनीम् शरणं प्र पद्मे अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।।५।।
आदित्यवर्णे तपसो अधि जातो वनस्पतिस्त्व वृक्षो अथ बिल्वः । तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मी ।।६।।
उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह । प्रादुर्भूतोअस्मि राष्ट्रेअस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।।७।।
क्षुत्पिपासामलाम् ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् । अभूतिम समृद्धिं च सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।।८।।
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्य पुष्टां करीषिणीम् । ईश्वरीं सर्वभूतानां तमिहोप ह्वये श्रियम् ।।९।।
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि । पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।१०।।
कर्दमेन प्रजाभूता मयि संभव कर्दम । श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।।११।।
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे । नि च देवी मातरं श्रियं वासय मे कुले ।।१२।।
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम् । चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो मा आ वह ।।१३।।
आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् । सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो मा आ वह ।।१४।।
तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मी मनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्यो अश्वान् विन्देयं पुरुषानहम्।।१५।।
यः शुचिः प्रयतोभूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्। सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् ।।१६।।
आदित्यवर्णे तपसो अधि जातो वनस्पतिस्त्व वृक्षो अथ बिल्वः ।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मी ।।६।।
उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोअस्मि राष्ट्रेअस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।।७।।
क्षुत्पिपासामलाम् ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिम समृद्धिं च सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।।८।।
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्य पुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरीं सर्वभूतानां तमिहोप ह्वये श्रियम् ।।९।।
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।१०।।
कर्दमेन प्रजाभूता मयि संभव कर्दम ।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।।११।।
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।
नि च देवी मातरं श्रियं वासय मे कुले ।।१२।।
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो मा आ वह ।।१३।।
आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो मा आ वह ।।१४।।
तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मी मनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्यो अश्वान् विन्देयं पुरुषानहम्।।१५।।
यः शुचिः प्रयतोभूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्।
सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् ।।१६।।
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श्रीसूक्तम् (तंत्रोक्त)
ॐ पद्मानने पद्मविपद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि |
विश्वप्रिये विष्णुमनोSनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सं नि धत्स्व |१|
पद्मानने पद्मउरू पद्माक्षि पद्मसम्भवे |
तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम् |२|
अश्वदायि गोदायि धनदायि महाधने |
धनं मे जुषतां देवि सर्वकामान्श्च् देहि मे |३|
पुत्रपौत्रधनं धान्यं हस्त्यश्वाश्वतरी रथम् |
प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे |४ |
धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुः |
धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरुणो धनमश्विना |५|
वैनतेय सोमं पिब सोमं पिबतु वृत्रहा |
सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः |६|
न क्रोधो न च मात्सर्यं न लोभो नाशुभा मतिः |
भवन्ति कृतपुण्यानां भक्त्या श्रीसूक्तजापिनाम् |७|
सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरान्शुकगन्धमाल्यशोभे |
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्र सीद मह्यम् |८|
विष्णुपत्नी क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम् |
लक्ष्मीं प्रियसखीं भूमिं नमाम्यच्युतवल्लभाम् |९|
महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि |
तन्नो लक्ष्मीः प्र चोदयात् ||१०||
आनन्दः कर्दमः श्रीदश्चिक्लीत इति विश्रुताः |
ऋषयः श्रियः पुत्राश्च श्रीर्देविर्देवता मताः |११|
ऋणरोगादिदारिद्र्य पापक्षुदपमृत्यवः |
भयशोकमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा |१२|
श्रीर्वर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाविधाच्छोभमानं महीयते |
धनं धान्यं पशुं बहुपुत्रलाभं शतसंवत्सरं दीर्घमायुः |१३|
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(शीघ्र फल प्राप्ति हेतु दोनों ही पढ़ना लाभकारी है)
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44. मिथिला के लोकप्रिय कवि विद्यापति रचित - गोसाओनिक गीत (Gosaonik Geet) अर्थ सहित
43. पौराणिक कथाओं में शल्य - चिकित्सा - Surgery in Indian mythology
42. सुन्दरकाण्ड के पाठ या श्रवण से हनुमानजी प्रसन्न हो कर सब बाधा और कष्ट दूर करते हैं
41. माँ काली की स्तुति - Maa Kali's "Stuti"
40. महाशिवरात्रि - Mahashivaratri
39. तुलसीदास - अनोखे रस - लालित्य के कवि
38. छठ महापर्व - The great festival of Chhath
37. भगवती प्रार्थना - बिहारी गीत (पाँच वरदानों के लिए)
36. सावन में पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक
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35. श्रीविद्या - सर्वोपरि मन्त्र साधना
34. श्री दुर्गा के बत्तीस नाम - भीषण विपत्ति और संकटों से बचानेवाला
33. मैथिलि भगवती गीत - "माँ सिंह पर एक कमल राजित"
32. माँ दुर्गा की देवीसूक्त से स्तुति करें -Praise Goddess Durga with Devi-Suktam!
31. शनि की पूजा -क्या करें क्या न करें। The worship of God Shani, What to do & what not!
30. संस्कृत सूक्तों के प्रारम्भ में शीर्षक का क्या अर्थ है ?
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29. शिव -अभिषेक (Shiva-Abhishekam)
28. अक्षय तृतीया - Akshay Tritiya!
27. निर्वाण षट्कम, आत्म षट्कम
26. A Topic from Geeta :: गीता - ज्ञान, क्या कर्म फल ही ईश्वर देते हैं?
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25. भगवती स्तुति। .... देवी दुर्गा उमा, विश्वजननी रमा......
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24. कृष्ण -जन्माष्टमी -- परमात्मा के पूर्ण अवतार का समय।
23. क्या सतयुग में पहाड़ों के पंख हुआ करते थे?
22. सावन में शिवपूजा। ..... Shiva Worship in Savan
21. सद्गुरु की खोज ---- Search of a Satguru! True Guru!
20. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अद्भुत कथा ....
(The great doctors of Gods-Ashwinikumars !). भाग - 4 (चिकित्सा के द्वारा चिकित्सा के द्वारा अंधों को दृष्टि प्रदान करना)
19. God does not like Ego i.e. अहंकार ! अभिमान ! घमंड !
18. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -3 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)
17. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -2 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)
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16. बाबा बासुकीनाथ का नचारी भजन -Baba Basukinath's "Nachari-Bhajan" !
15. शिवषडक्षर स्तोत्र (Shiva Shadakshar Stotra-The Prayer of Shiva related to Six letters)
14. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -१ (अश्विनीकुमार और नकुल- सहदेव का जन्म)
13. पवित्र शमी एवं मन्दार को वरदान की कथा (Shami patra and Mandar phool)
12. Daily Shiva Prayer - दैनिक शिव आराधना
11. Shiva_Manas_Puja (शिव मानस पूजा)
10. Morning Dhyana of Shiva (शिव प्रातः स्मरण) !
09. जप कैसे करें ?
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08. पूजा में अष्टक का महत्त्व ....Importance of eight-shloka- Prayer (Ashtak) !
07. संक्षिप्त लक्ष्मी पूजन विधि...! How to Worship Lakshmi by yourself ..!!
06. Common misbeliefs about Hindu Gods ... !!
05. Why should we worship Goddess "Durga" ... माँ दुर्गा की आराधना क्यों जरुरी है ?
04. Importance of 'Bilva Patra' in "Shiv-Pujan" & "Bilvastak"... शिव पूजन में बिल्व पत्र का महत्व !!
03. Bhagwat path in short ..!! संक्षिप्त भागवत पाठ !!
02. What Lord Shiva likes .. ? भगवान शिव को क्या क्या प्रिय है ?
01. The Sun and the Earth are Gods we can see .....
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