Monday, February 28, 2033

kinkars.blogspot.com - अनुसूची -INDEX

Tamaso Ma Jyotirgamaya
























                                                                 →यूट्यूब पर सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें











44. मिथिला के लोकप्रिय कवि विद्यापति रचित - गोसाओनिक गीत (Gosaonik Geet) अर्थ सहित

43. पौराणिक कथाओं में शल्य - चिकित्सा - Surgery in Indian mythology

42. सुन्दरकाण्ड के पाठ या श्रवण से हनुमानजी प्रसन्न हो कर सब बाधा और कष्ट दूर करते हैं

41. माँ काली की स्तुति - Maa Kali's "Stuti"

40. महाशिवरात्रि - Mahashivaratri                                


39. तुलसीदास - अनोखे रस - लालित्य के कवि

38. छठ महापर्व - The great festival of Chhath

37. भगवती प्रार्थना - बिहारी गीत (पाँच वरदानों के लिए)

36. सावन में पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक




25. भगवती स्तुति। .... देवी दुर्गा उमा, विश्वजननी रमा......

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24. कृष्ण -जन्माष्टमी -- परमात्मा के पूर्ण अवतार का समय। 

23. क्या सतयुग में पहाड़ों के पंख हुआ करते थे?

22. सावन में शिवपूजा। ..... Shiva Worship in Savan  

21. सद्गुरु की खोज ---- Search of a Satguru! True Guru!

20. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अद्भुत कथा  ....
(The great doctors of Gods-Ashwinikumars !). भाग - 4 (चिकित्सा के द्वारा चिकित्सा के द्वारा अंधों को दृष्टि प्रदान करना)
19. God does not like Ego i.e. अहंकार ! अभिमान ! घमंड !

18. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -3 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

17. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -2 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

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16. बाबा बासुकीनाथ का नचारी भजन -Baba Basukinath's "Nachari-Bhajan" !

15. शिवषडक्षर स्तोत्र (Shiva Shadakshar Stotra-The Prayer of Shiva related to Six letters)

14. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -१ (अश्विनीकुमार और नकुल- सहदेव का जन्म)

13. पवित्र शमी एवं मन्दार को वरदान की कथा (Shami patra and Mandar phool)

12. Daily Shiva Prayer - दैनिक शिव आराधना

11. Shiva_Manas_Puja (शिव मानस पूजा)

10. Morning Dhyana of Shiva (शिव प्रातः स्मरण) !

09. जप कैसे करें ?

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08. पूजा में अष्टक का महत्त्व ....Importance of eight-shloka- Prayer (Ashtak) !

07. संक्षिप्त लक्ष्मी पूजन विधि...! How to Worship Lakshmi by yourself ..!!

06. Common misbeliefs about Hindu Gods ... !!

05. Why should we worship Goddess "Durga" ... माँ दुर्गा की आराधना क्यों जरुरी है ?

04. Importance of 'Bilva Patra' in "Shiv-Pujan" & "Bilvastak"... शिव पूजन में बिल्व पत्र का महत्व !!

03. Bhagwat path in short ..!! संक्षिप्त भागवत पाठ !!         {Listen it in only three minutes on YouTube}

02. What Lord Shiva likes .. ? भगवान शिव को क्या क्या प्रिय है ?

01. The Sun and the Earth are Gods we can see .....

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Tuesday, October 8, 2024

अम्बे माँ (दुर्गा माँ) की आरती - "जय अम्बे गौरी"

अम्बे माँ की आरती
माँ

        भगवती माँ की पूजा सम्पूर्ण होने पर उनकी आरती की जाती है। संध्या समय में दुर्गा माँ की गायी जाने वाली आरती "जय अम्बे गौरी" एक लोकप्रिय आरती है। नवरात्रों में संध्या समय इस मधुर आरती की ध्वनि भक्तजनों के घर-घर से आती सुनाई पड़ती है। यहाँ पर गीता प्रेस की पुस्तक श्रीदुर्गासप्तशती से उद्धृत अम्बे माँ की आरती "जय अम्बे गौरी" लिख रहा हूँ। माँ दुर्गा की पूजा विशेष कर नवरात्रों में बहुत ही फलदायी एवं मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली होती है।    
अम्बे माँ की आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥
                                  जय अम्बे गौरी..॥

माँग सिंदूर विराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
                                जय अम्बे गौरी..॥

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्त-पुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
                               जय अम्बे गौरी..॥

केहरि वाहन राजत, खड्ग खपर धारी ।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
                                 जय अम्बे गौरी..॥

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥
                                 जय अम्बे गौरी..॥

शुंभ निशुंभ विदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्रविलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥
                              जय अम्बे गौरी..॥

चण्ड मुण्ड संहारे, शोणितबीज हरे ।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
                             जय अम्बे गौरी..॥

ब्रह्माणी,  रूद्राणी  तुम  कमला रानी ।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
                                जय अम्बे गौरी..॥

चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरूँ ।
बाजत ताल मृदंगा, औ बाजत डमरू ॥
                           जय अम्बे गौरी..॥

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुख हरता सुख संपति करता ॥
                             जय अम्बे गौरी..॥

भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर-नारी ॥
                              जय अम्बे गौरी..॥

कंचन थाल विराजत, अगर कपुर बाती ।
(श्री) मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योती ॥
                                  जय अम्बे गौरी..॥

(श्री) अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावै ।
कहत शिवानँद स्वामी, सुख संपति पावै ॥
                                जय अम्बे गौरी..॥

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

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44. मिथिला के लोकप्रिय कवि विद्यापति रचित - गोसाओनिक गीत (Gosaonik Geet) अर्थ सहित

43. पौराणिक कथाओं में शल्य - चिकित्सा - Surgery in Indian mythology

42. सुन्दरकाण्ड के पाठ या श्रवण से हनुमानजी प्रसन्न हो कर सब बाधा और कष्ट दूर करते हैं

41. माँ काली की स्तुति - Maa Kali's "Stuti"

40. महाशिवरात्रि - Mahashivaratri                                


39. तुलसीदास - अनोखे रस - लालित्य के कवि

38. छठ महापर्व - The great festival of Chhath

37. भगवती प्रार्थना - बिहारी गीत (पाँच वरदानों के लिए)

36. सावन में पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक




25. भगवती स्तुति। .... देवी दुर्गा उमा, विश्वजननी रमा......

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24. कृष्ण -जन्माष्टमी -- परमात्मा के पूर्ण अवतार का समय। 

23. क्या सतयुग में पहाड़ों के पंख हुआ करते थे?

22. सावन में शिवपूजा। ..... Shiva Worship in Savan  

21. सद्गुरु की खोज ---- Search of a Satguru! True Guru!

20. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अद्भुत कथा  ....
(The great doctors of Gods-Ashwinikumars !). भाग - 4 (चिकित्सा के द्वारा चिकित्सा के द्वारा अंधों को दृष्टि प्रदान करना)
19. God does not like Ego i.e. अहंकार ! अभिमान ! घमंड !

18. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -3 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

17. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -2 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

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16. बाबा बासुकीनाथ का नचारी भजन -Baba Basukinath's "Nachari-Bhajan" !

15. शिवषडक्षर स्तोत्र (Shiva Shadakshar Stotra-The Prayer of Shiva related to Six letters)

14. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -१ (अश्विनीकुमार और नकुल- सहदेव का जन्म)

13. पवित्र शमी एवं मन्दार को वरदान की कथा (Shami patra and Mandar phool)

12. Daily Shiva Prayer - दैनिक शिव आराधना

11. Shiva_Manas_Puja (शिव मानस पूजा)

10. Morning Dhyana of Shiva (शिव प्रातः स्मरण) !

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07. संक्षिप्त लक्ष्मी पूजन विधि...! How to Worship Lakshmi by yourself ..!!

06. Common misbeliefs about Hindu Gods ... !!

05. Why should we worship Goddess "Durga" ... माँ दुर्गा की आराधना क्यों जरुरी है ?

04. Importance of 'Bilva Patra' in "Shiv-Pujan" & "Bilvastak"... शिव पूजन में बिल्व पत्र का महत्व !!

03. Bhagwat path in short ..!! संक्षिप्त भागवत पाठ !!         {Listen it in only three minutes on YouTube}

02. What Lord Shiva likes .. ? भगवान शिव को क्या क्या प्रिय है ?

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Sunday, September 29, 2024

हर प्रकार की सम्पदाओं और धन को पाने का अद्भुत उपाय - श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

।।श्रीदुर्गायै नमः।।
महिषासुर मर्दिनी

       जैसा कि मैंने अपने ब्लॉग "सप्तश्लोकी दुर्गा" में लिखा था कि माँ दुर्गा की आराधना भक्तजन अपने कामनाओं की पूर्ति के लिए भी करते हैं, यदि धन, धान्य, पुत्र, स्त्री, घोड़ा, हाथी, धर्म आदि चार पुरुषार्थ तथा अन्त में परम मुक्ति की कामना हो तो इसके लिए माँ दुर्गा की आराधना हेतु एक और स्तुति यहाँ दे रहा हूँ जो गीता प्रेस से प्रकाशित "श्रीदुर्गासप्तशती" पुस्तक से लिया गया है। यह स्तुति है "श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्" अर्थात श्री दुर्गाजी के एक सौ आठ नामवाले स्तोत्र। यह स्तुति भी भगवान शंकर और माता पार्वती के बीच के संवाद के रूप में है। स्तोत्र के बाद इसका अर्थ भी लिखूँगा जिसके अंत में पायेंगे कि हर प्रकार की सम्पदाओं को पाने के लिए इस स्तोत्र का किस नियम से पाठ करना चाहिए। ये नियम इसी स्तोत्र का हिस्सा है जो अंत में स्तोत्र की महिमा बताने में दिया गया है।  
                        स्तोत्र :-- 

।।श्रीदुर्गायै नमः।।
श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
ईश्वर उवाच
शतनाम  प्रवक्ष्यामि   शृणुष्व  कमलानने ।      
यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत् सती ।।1।।
ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी ।     
आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा शूलधारिणी ।।2।।
पिनाकधारिणी चित्रा  चन्द्रघण्टा महातपाः।       
मनो  बुद्धिरहंकारा  चित्तरूपा  चिता  चितिः।।3।।
सर्वमन्त्रमयी    सत्ता   सत्यानन्दस्वरूपिणी ।       
अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागतिः।।4।।
शाम्भवी  देवमाता  च  चिन्ता रत्नप्रिया सदा ।      
सर्वविद्या    दक्षकन्या    दक्षयज्ञविनाशिनी ।।5।।
अपर्णानेकवर्णा   च   पाटला   पाटलावती ।        
पट्टाम्बरपरीधाना         कलमञ्जीररञ्जिनी ।।6।। 
अमेयविक्रमा     क्रूरा      सुन्दरी    सुरसुन्दरी ।      
वनदुर्गा   च    मातङ्गी    मतङ्गमुनिपूजिता ।।7।।
ब्राह्मी  माहेश्वरी  चैन्द्री  कौमारी  वैष्णवी  तथा ।   
चामुण्डा चैव वाराही  लक्ष्मीश्च  पुरुषाकृतिः ।।8।।
विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्या च बुद्धिदा ।  
बहुला        बहुलप्रेमा        सर्ववाहनवाहना ।।9।।
निशुम्भशुम्भहननी                  महिषासुरमर्दिनी ।   
 मधुकैटभहन्त्री     च     चण्डमुण्डविनाशिनी ।।10।।
सर्वासुरविनाशा       च       सर्वदानवघातिनी ।     
सर्वशास्त्रमयी  सत्या  सर्वास्त्रधारिणी  तथा ।।11।।
अनेकशस्त्रहस्ता    च   अनेकास्त्रस्य   धारिणी ।     
कुमारी चैककन्या  च  कैशोरी युवती यतिः ।।12।।
अप्रौढा   चैव   प्रौढा   च   वृद्धमाता   बलप्रदा ।    
महोदरी   मुक्तकेशी     घोररूपा   महाबला ।।13।।
अग्निज्वाला   रौद्रमुखी    कालरात्रिस्तपस्विनी ।     
नारायणी  भद्रकाली  विष्णुमाया  जलोदरी ।।14।।
शिवदूती    कराली    च    अनन्ता    परमेश्वरी ।     
कात्यायनी च सावित्री  प्रत्यक्षा ब्रह्मवादिनी ।।15।।
य     इदं     प्रपठेन्नित्यं     दुर्गानामशताष्टकम् ।      
नासाध्यं  विद्यते देवि  त्रिषु  लोकेषु  पार्वति ।।16।। 
धनं  धान्यं    सुतं  जायां    हयं  हस्तिनमेव  च ।      
चतुर्वर्गं तथा  चान्ते  लभेन्मुक्तिं  च शाश्वतीम् ।।17।।
कुमारीं  पूजयित्वा  तु  ध्यात्वा  देवीं  सुरेश्वरीम् ।     
पूजयेत्  परया   भक्त्या   पठेन्नामशताष्टकम् ।।18।। 
तस्य    सिद्धिर्भवेद्     देवि     सर्वैः    सुरवरैरपि ।    
राजानो  दासतां यान्ति  राज्यश्रियमवाप्नुयात् ।।19।।  
गोरोचनालक्तककुङ्कुमेन   सिन्दूरकर्पूरमधुत्रयेण ।    
विलख्य यन्त्रं विधिना विधिज्ञो भवेत् सदा धारयते पुरारिः।।20।।
भौमावास्यानिशामग्रे     चन्द्रे     शतभिषां     गते ।      
विलख्य प्रपठेत् स्तोत्रं  स भवेत् सम्पदां पदम् ।।21।।  
===
 भावार्थ :-
  शंकरजी पार्वतीजी से कहते हैं -- कमलानने ! अब मैं अष्टोत्तरशतनाम का वर्णन करता हूँ, सुनो ; जिसके पाठ या श्रवण मात्र से परम साध्वी भगवती दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं ।।1।।
1. ॐ सती 
2. साध्वी 
3. भवप्रीता (भगवान् शिव पर प्रीति रखनेवाली)
4. भवानी 
5. भवमोचनी (संसार-बन्धन से मुक्त करनेवाली)
6. आर्या 
7. दुर्गा 
8. जया 
9. आद्या 
10. त्रिनेत्रा 
11. शूलधारिणी 
12. पिनाकधारिणी 
13. चित्रा 
14. चण्डघण्टा (प्रचंड स्वर से घण्टानाद करनेवाली)
15. महातपा (भारी तपस्या करनेवाली)
16. मन 
17. बुद्धि 
18. अहंकारा (अहंता का आश्रय)
19. चित्तरूपा 
20. चिता 
21. चिति (चेतना)
22. सर्वमन्त्रमयी
23. सत्ता (सत्-स्वरूपा)
24. सत्यानन्दस्वरूपिणी 
25. अनन्ता (जिनके स्वरुप का कहीं अंत नहीं)
26. भाविनी (सबको उत्पन्न करने वाली)
27. भाव्या (भावना एवं ध्यान करने योग्य)
28. भव्या (कल्याणरूपा)
29. अभव्या (जिससे बढ़कर भव्य कहीं है नहीं)
30. सदागति 
31. शाम्भवी (शिवप्रिया)
32. देवमाता 
33. चिन्ता 
34. रत्नप्रिया 
35. सर्वविद्या 
36. दक्षकन्या 
37. दक्षयज्ञविनाशिनी 
38. अपर्णा (तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली)
39. अनेकवर्णा (अनेक रंगों वाली)
40. पाटला (लाल रंग वाली)
41. पाटलावती (गुलाब के फूल या लाल फूल धारण करने वाली)
42. पट्टाम्बरपरीधाना (रेशमी वस्त्र पहनने वाली)
43. कलमंजीररंजिनी (मधुर ध्वनि करने वाले मंजीर को धारण करके प्रसन्न रहने वाली)
44. अमेयविक्रमा (असीम पराक्रम वाली)
45. क्रूरा (दैत्यों के प्रति कठोर)
46. सुन्दरी 
47. सुरसुन्दरी 
48. वनदुर्गा 
49. मातंगी 
50. मतंगमुनिपूजिता 
51. ब्राह्मी 
52. माहेश्वरी 
53. ऐन्द्री 
54. कौमारी 
55. वैष्णवी 
56. चामुण्डा 
57. वाराही 
58. लक्ष्मी 
59. पुरुषाकृति 
60. विमला 
61. उत्कर्षिणी 
62. ज्ञाना 
63. क्रिया 
64. नित्या 
65. बुद्धिदा 
66. बहुला 
67. बहुलप्रेमा 
68. सर्ववाहनवाहना 
69. निशुम्भ-शुम्भहननी 
70. महिषासुरमर्दिनी 
71. मधुकैटभहन्त्री 
72. चण्डमुण्डविनाशिनी 
73. सर्वासुरविनाशा 
74. सर्वदानवघातिनी 
75. सर्वशास्त्रमयी 
76. सत्या 
77. सर्वास्त्रधारिणी 
78. अनेकशस्त्रहस्ता 
79. अनेकास्त्रधारिणी 
80. कुमारी 
81. एककन्या 
82. कैशोरी 
83. युवती 
84. यति 
85. अप्रौढ़ा 
86. प्रौढ़ा 
87. वृद्धमाता 
88. बलप्रदा 
89. महोदरी 
90. मुक्तकेशी 
91. घोररूपा 
92. महाबला 
93. अग्निज्वाला 
94. रौद्रमुखी 
95. कालरात्रि 
96. तपस्विनी 
97. नारायणी 
98. भद्रकाली 
99. विष्णुमाया 
100. जलोदरी 
101. शिवदूती 
102. कराली 
103. अनन्ता (विनाशरहिता)
104. परमेश्वरी 
105. कात्यायनी 
106. सावित्री 
107. प्रत्यक्षा 
108. ब्रह्मवादिनी  ।।2 - 15।।
             देवी पार्वती ! जो प्रतिदिन दुर्गा जी के इस अष्टोत्तरशतनाम का पाठ करता है, उसके लिए तीनों लोकों में कुछ भी असाध्य नहीं है ।।16।। वह धन, धान्य, पुत्र, स्त्री, घोड़ा, हाथी, धर्म आदि चार पुरुषार्थ तथा अंत में सनातन मुक्ति भी प्राप्त कर लेता है ।।17।। कुमारी का पूजन और देवी सुरेश्वरी का ध्यान करके पराभक्ति के साथ उनका पूजन करे, फिर अष्टोत्तरशतनाम का पाठ आरम्भ करे ।।18।। देवी ! जो ऐसा करता है, उसे सब श्रेष्ठ देवताओं से सिद्धि प्राप्त होती है। राजा उसके दास हो जाते हैं। वह राज्यलक्ष्मी को प्राप्त कर लेता है ।।19।। गोरोचन, लाक्षा, कुंकुम, सिन्दूर, कपूर, घी (अथवा दूध), चीनी और मधु - इन वस्तुओं को एकत्र करके इनसे विधिपूर्वक यन्त्र लिखकर जो विधिज्ञ पुरुष सदा उस यन्त्र को धारण करता है, वह शिव के तुल्य (मोक्षरूप)हो जाता है ।।20।। भौमवती अमावस्या की आधी रात में, जब चन्द्रमा शतभिषा नक्षत्र पर हों, उस समय इस स्तोत्र को लिखकर जो इसका पाठ करता है, वह सम्पत्तिशाली होता है ।।21।।
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39. तुलसीदास - अनोखे रस - लालित्य के कवि

38. छठ महापर्व - The great festival of Chhath

37. भगवती प्रार्थना - बिहारी गीत (पाँच वरदानों के लिए)

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20. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अद्भुत कथा  ....
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19. God does not like Ego i.e. अहंकार ! अभिमान ! घमंड !

18. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -3 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

17. देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों की अदभुत कथा (The great doctors of Gods-Ashwinikumars !)-भाग -2 (चिकित्सा के द्वारा युवावस्था प्रदान करना)

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12. Daily Shiva Prayer - दैनिक शिव आराधना

11. Shiva_Manas_Puja (शिव मानस पूजा)

10. Morning Dhyana of Shiva (शिव प्रातः स्मरण) !

09. जप कैसे करें ?

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08. पूजा में अष्टक का महत्त्व ....Importance of eight-shloka- Prayer (Ashtak) !

07. संक्षिप्त लक्ष्मी पूजन विधि...! How to Worship Lakshmi by yourself ..!!

06. Common misbeliefs about Hindu Gods ... !!

05. Why should we worship Goddess "Durga" ... माँ दुर्गा की आराधना क्यों जरुरी है ?

04. Importance of 'Bilva Patra' in "Shiv-Pujan" & "Bilvastak"... शिव पूजन में बिल्व पत्र का महत्व !!

03. Bhagwat path in short ..!! संक्षिप्त भागवत पाठ !!         {Listen it in only three minutes on YouTube}

02. What Lord Shiva likes .. ? भगवान शिव को क्या क्या प्रिय है ?

01. The Sun and the Earth are Gods we can see .....

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