माँ महिषासुर मर्दिनी |
नवरात्रि के पावन अवसर पर भक्तजन माँ दुर्गा की पूजा - आराधना, व्रत - उपवास और स्तुति - प्रार्थना में लीन हो जाते हैं। जहाँ पुरुष सदस्य श्रीदुर्गासप्तशती के पाठ से माँ को प्रसन्न करते हैं वहीँ महिलाएँ अनेक कर्णप्रिय भजन और गीतों के माध्यम से माँ महामाया की स्तुति - प्रार्थना कर उन्हें प्रसन्न करती हैं साथ ही गीतों के माध्यम से प्रसन्न हुई माँ से वरदान माँगती हैं और मनोकामना पूर्ण करने प्रार्थना करती हैं। बिहार में महिलाओं द्वारा गाये जानेवाले ऐसे ही गीतों में से एक यहाँ दे रहा हूँ जिसमें माँ भगवती को करबद्ध प्रार्थना करते हुए उनसे सुखी जीवन के लिए पाँच वरदान देने की विनती की गई है :-
बिनती सुनिये हे महारानी हम कर जोड़े खड़ी ना |
बिनती सुनिये हे महारानी हम कर जोड़े खड़ी ना ||
प्रथम वर मांगू माँ हे सिथि के सिंदुरवा, से सुनलियो माता हे
बिनती सुनिये हे महारानी हम कर जोड़े खड़ी ना |1|
दूसर वर मांगू माँ हे गोदी के बालकबा, से सुन लियो माता हे
बिनती सुनिये हे महारानी हम कर जोड़े खड़ी ना |2|
तेसर वर मांगू माँ हे अन-धन सम्पति, से सुन लियो माता हे
बिनती सुनिये हे महारानी हम कर जोड़े खड़ी ना |3|
चौथम वर मांगू माँ हे नहिरा सहोदर भाई, से सुन लियो माता हे
बिनती सुनिये हे महारानी हम कर जोड़े खड़ी ना |4|
पंचम वर मांगू माँ हे सब मन-मनोरथ, से सुन लियो माता हे
बिनती सुनिये हे महारानी हम कर जोड़े खड़ी ना |5|
बिनती सुनिये हे महारानी हम कर जोड़े खड़ी ना |
बिनती सुनिये हे महारानी हम कर जोड़े खड़ी ना ||
भारतीय महिलाएँ न सिर्फ अपने पति, बच्चोँ एवं परिवार की शुभकामनाएँ चाहती हैं बल्कि माँ भवानी से अपने नैहर (पीहर) और भाइयों की मंगल - कामनायेँ करना भी नहीं भूलतीं। इस गीत के पहले वरदान में सिथि के सिंदुरवा का अर्थ है मांग का सिन्दूर। अर्थात अपने पति की मंगलकामना।
दुसरे वरदान में गोदी के बालकवा अर्थात पुत्र की कामना /मंगलकामना कर रही हैं।
तीसरा वरदान अपने परिवार के लिए अन्न, धन और संपत्ति देने का आग्रह है।
चौथे वरदान में अपने नैहर में सहोदर भाई के लिए मंगल - कामनाएं करती हैं।
पांचवें वरदान में अपने सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने का आग्रह है।
यह गीत भारतीय संस्कारों से लबालब माँ की भावपूर्ण प्रार्थना है। माँ भवानी भक्तजनों की मनोकामनाएँ पूर्ण करें।
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